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कविता

लोकतंत्र की बागडोर

मत्स्येंद्र शुक्ल


देश के बहुसंख्‍य गरीब प्रबुद्ध वर्ग
क्‍या? सब बिक गए दलालों के हाथ
कौन चलेगा अब मूल्‍यों के साथ
देश की संसद में चेहरे पहचानो
देखो! सुनो!! किस तरह हो रहा हंगामा
जन का नहीं परिवारवाद का सफरनामा
प्रभुता संपन्‍न संसद पर कब्‍जे के लिए
बिक रहा वोट खुले आम
क्‍या करें सभाध्‍यक्ष लोकपाल -
सब के मुँह में सत्‍ता की लगाम
लोकतंत्र की बागडोर
हर बार पा जाते वही चेहरे
जो जन-विरोधी मौलिक
किसान मजदूर का करते नुकसान


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